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3 Oct 2024 · 1 min read

4525.*पूर्णिका*

4525.*पूर्णिका*
🌷 राह सबको दिखाने लगे 🌷
212 212 212
राह सबको दिखाने लगे।
चाह सबकी बताने लगे।।
महकती रोज ये जिंदगी।
चमन देखो सजाने लगे।।
देख दुनिया मुठ्ठी में यहाँ ।
ऊँगली पे नचाने लगे।।
सोच के साथ चलते जरा।
ताज मंजिल हर्षाने लगे।।
आज खेदू बढ़े मस्त जहाँ ।
हाथ भी शत्रु मिलाने लगे।।
…….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
03-10-2024 गुरुवार

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