4512.*पूर्णिका*
4512.*पूर्णिका*
🌷 बुराई बुराई ढूंढ़ते 🌷
122 122 212
बुराई बुराई ढूंढ़ते।
अच्छाई अच्छाई ढूंढ़ते।।
जरा भी नहीं है कुछ यहाँ ।
भलाई भलाई ढूंढ़ते।।
तनिक ना समझते खुद हमें ।
कमाई कमाई ढूंढ़ते।।
पकड़ हाथ अपने बस यहाँ ।
कलाई कलाई ढूंढ़ते।।
मिटे गम खुशी खेदू जहाँ ।
जमाई जमाई ढूंढ़ते।।
………✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
02-10-2024 बुधवार