4508.*पूर्णिका*
4508.*पूर्णिका*
🌷 अपना मन मिलते कहाँ 🌷
22 22 212
अपना मन मिलते कहाँ ।
अपनापन मिलते कहाँ ।।
मारा है हालात का।
देख सजन मिलते कहाँ ।।
होती बारिश प्यार की।
मेघ पवन मिलते कहाँ ।।
दमदारी की बात है ।
मस्त दामन मिलते कहाँ ।।
करते खेदू परवरिश।
मन भावन मिलते कहाँ ।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
01-10-2024 मंगलवार