4502.*पूर्णिका*
4502.*पूर्णिका*
🌷 देखकर चलते हम 🌷
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देखकर चलते हम ।
रोज संभलते हम ।।
भूल ना हो जाए ।
फूंक कर बढ़ते हम ।।
महकती बगियां भी।
फूल सा खिलते हम ।।
चाहतें यूं पूरी ।
हँस कर मिलते हम ।।
जिंदगी मस्त खेदू।
हाथ ना मलते हम ।।
………..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
01-10-2024 मंगलवार