4500.*पूर्णिका*
4500.*पूर्णिका*
🌷 हरदम मस्त रहते हम 🌷
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हरदम मस्त रहते हम ।
हरदम व्यस्त रहते हम ।।
झेल परेशानी भी ।
हरदम पस्त रहते हम ।।
देख मजे में दुनिया।
हरदम त्रस्त रहते हम ।।
जीवन में संघर्ष कर ।
हरदम ध्वस्त रहते हम ।।
साथ निभाते खेदू।
हरदम हस्त रहते हम ।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
30-09-2024 सोमवार