4491.*पूर्णिका*
4491.*पूर्णिका*
🌷 वतन से मुहब्बत अपनी 🌷
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वतन से मुहब्बत अपनी।
सजन से मुहब्बत अपनी।।
यूं खिले कलियां महके।
चमन से मुहब्बत अपनी।।
जिंदगी देखो चहके ।
जान से मुहब्बत अपनी।।
रोज खिलते हैं खुशियां ।
शान से मुहब्बत अपनी।।
नेकिया बांटे खेदू।
लगन से मुहब्बत अपनी।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
30-09-2024 सोमवार