4484.*पूर्णिका*
4484.*पूर्णिका*
🌷 बढ़ते कदम यहाँ 🌷
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बढ़ते कदम यहाँ ।
गढ़ते कदम यहाँ ।।
जीने का मकसद ।
कढ़ते कदम यहाँ ।।
ये शिखर मस्ताने ।
चढ़ते कदम यहाँ ।।
खुशियांँ ही खुशियांँ ।
पढ़ते कदम यहाँ ।।
दुनिया भी खेदू।
मढ़ते कदम यहाँ ।।
……….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
29-09-2024 रविवार