4436.*पूर्णिका*
4436.*पूर्णिका*
🌷 आगे अब बढ़ना है🌷
22 22 22
आगे अब बढ़ना है ।
शिखर यहाँ चढ़ना है ।।
इतिहास बने सुंदर।
देख नया गढ़ना है ।।
गलती स्वीकार करें ।
दोष नहीं मढ़ना है ।।
बदले सोच यहाँ हम ।
सच में मन कढ़ना है ।।
खून पसीना खेदू।
जीवन को पढ़ना है ।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
24-09-2024 मंगलवार