4427.*पूर्णिका*
4427.*पूर्णिका*
🌷 अपना क्या बना लेते🌷
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अपना क्या बना लेते।
सपना क्या बना लेते।।
जीने का जहाँ मंतर ।
जपना क्या बना लेते।।
धूप यहाँ पसीना भी।
तपना क्या बना लेते।।
करते मेहनत हरदम।
खपना क्या बना लेते।।
बनते नामवर खेदू।
छपना क्या बना लेते।।
………..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
24-09-2024 मंगलवार