4385.*पूर्णिका*
4385.*पूर्णिका*
🌷 कुछ तो अपने कहते🌷
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कुछ तो अपने कहते।
कुछ तो अपने रहते।।
पीड़ा कितनी होती।
कुछ तो अपने सहते।।
दिल में है प्यार यहाँ
कुछ तो अपने बहते ।।
नफरत की दीवारें ।
कुछ तो अपने ढ़हते।।
खुशियां बांटे खेदू।
कुछ तो अपने चहते ।।
……….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
19-09-2024 गुरुवार