4383.*पूर्णिका*
4383.*पूर्णिका*
🌷 दूध के धोए कौन यहाँ🌷
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दूध के धोए कौन यहाँ ।
हँस के रोए कौन यहाँ ।।
साथ रहते हरदम सजना।
जाग के सोए कौन यहाँ ।।
हाथ अपने हासिल मंजिल ।
देख के खोए कौन यहाँ ।।
धार बहते नदियाँ कलकल।
डूब के धोए कौन यहाँ ।।
थाम दामन बढ़ते खेदू।
सोच के बोए कौन यहाँ ।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
19-09-2024 गुरुवार