4347.*पूर्णिका*
4347.*पूर्णिका*
🌷 हरदम सच सच कहता हूँ🌷
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हरदम सच सच कहता हूँ ।
मन मार यहाँ रहता हूँ ।।
जो समझे जाने हमको।
रख प्यार वहाँ बहता हूँ ।।
रात मिटे तो दिन निकले।
हर दर्द अपना सहता हूँ ।।
करते देख दगाबाजी।
बन कहर यहाँ ढ़हता हूँ ।।
अपन पसंद जहाँ खेदू।
जां से ज्यादा चहता हूँ ।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
16-09-2024 सोमवार