4- हिन्दी दोहा बिषय- बालक
हिंदी दोहा -बिषय- बालक
1
#राना बालक जब रहा ,
सदा रहा निष्काम |
अब जीवन में ख्वायशें ,
लूट रहीं आराम ||
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2
#राना बालक जब रहा ,
अद्भुत रही उमंग |
अब जीवन की दौड़ में ,
मजबूरी के रंग ||
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3
#राना बालक जब रहा ,
आया नहीं मलाल |
अब ख्यालों में पालता ,
बेमतलब जंजाल ||
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4
#राना बालक जब रहा ,
हँसता बनकर फूल |
आज बना काँटा स्वयं ,
ताने रखे त्रिशूल ||
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5
#राना बालक जब रहा ,
डर से था मैं दूर |
डर तो अब दर पर रहे ,
रहता हूँ मजबूर ||
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-राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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