3889.*पूर्णिका*
3889.*पूर्णिका*
🌷 कमजोर नहीं नजर मेरी🌷
22 22 2122
कमजोर नहीं नज़र मेरी।
पुरजोर नहीं नजर तेरी।।
बस क्यों तिल का ताड़ कहते।
झकझोर नहीं नजर तेरी।।
लाख टके की बात समझे।
लकझोर नहीं नजर तेरी।।
दिल की सुनते कौन देखो।
बलजोर नहीं नजर तेरी।।
अपना है संजोग खेदू।
मनबोर नहीं नजर तेरी।।
……✍ डॉ खेदू भारती”सत्येश”
10.8.2024शनिवार