3888.*पूर्णिका*
3888.*पूर्णिका*
🌷 कितने बदले तुम🌷
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कितने बदले तुम।
कितने बदले हम ।।
अजब कहानी है ।
खिलते रोज कुसुम।।
पीड़ा अपनी क्या।
बेदर्द सारे गुम ।।
आज जमाना भी ।
देख हिलाते दुम ।।
साथी है खेदू।
यूं लाली कुंकुम ।।
…….✍ डॉ खेदू भारती”सत्येश”
10.8.2024शनिवार