3885.*पूर्णिका*
3885.*पूर्णिका*
🌷 आज खुशी का ठिकाना नहीं था🌷
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आज खुशी का ठिकाना नहीं था ।
साथ यहाँ गम बिताना नहीं था ।।
दिन प्यारा सा मिला था हमें सच ।
कुछ तो कर के दिखाना नहीं था।।
चलकर आती कहाँ देख दुनिया।
यूं हाथ जहाँ मिलाना नहीं था।।
रखते दिल में जिसे महक जाते।
हारे को मन जिताना नहीं था।।
थामे दामन किस्मत नेक खेदू।
नाम कभी भी लिखाना नहीं था।।
………✍ डॉ खेदू भारती”सत्येश”
10.8.2024शनिवार