3291.*पूर्णिका*
3291.*पूर्णिका*
🌷 रचते कीर्तिमान यहाँ 🌷
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रचते कीर्तिमान यहाँ ।
बनते सच महान यहाँ ।।
रखते याद ये दुनिया।
छोड़े हम निशान यहाँ ।।
काँटे फूल बन जाते।
कहते हैं जहान यहाँ ।।
कोई प्यार में देखो ।
बनते नेक जान यहाँ।।
चाहत मंजिलें खेदू।
छूते आसमान यहाँ ।।
……..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
19-04-2024शुक्रवार