3278.*पूर्णिका*
3278.*पूर्णिका*
🌷 साथ रहता है कोई हरदम 🌷
212 22 22 22
साथ रहता है कोई हरदम ।
देख कहता है कोई हरदम।।
जिंदगी की अजब कहानी है ।
मौन सहता है कोई हरदम।।
हसरतें दिल की पूरी करते।
रोज बहता है कोई हरदम।।
बस उम्मीदों पर जिंदा रहते।
पीर सहता है कोई हरदम।।
महकती बगियां अपनी खेदू।
जान ढ़हता है कोई हरदम।।
……..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
15-04-2024सोमवार