3275.*पूर्णिका*
3275.*पूर्णिका*
🌷 आदत से लाचार होते हैं 🌷
22 22 212 22
आदत से लाचार होते हैं ।
मतलब के सब यार होते हैं ।।
समझा लो तुम लाख ना समझे।
कैसे नैया पार होते हैं ।।
बोले मीठी जुबां साथी ।
दूधारी तलवार होते हैं ।।
घबराते हालात से इंसां ।
सच जीवन भर हार होते हैं ।।
सोच बड़े रख ले यहाँ खेदू।
सपनें भी साकार होते हैं ।।
………✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
14-04-2024रविवार