3257.*पूर्णिका*
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3257.*पूर्णिका*
🌷 जब पथ मिल जाता है 🌷
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जब पथ मिल जाता है ।
तब दिल खिल जाता है ।।
राज बताती दुनिया।
पर्वतें हिल जाता है ।।
साथ नहीं है कोई ।
शिगुफा ढिल जाता है ।।
है बात अजीब यहाँ ।
क्या हासिल जाता है ।।
संग न छोड़े खेदू।
हो शामिल जाता है ।।
………..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
10-04-2024बुधवार