3218.*पूर्णिका*
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3218.*पूर्णिका*
🌷 दूध के धोये नहीं कोई🌷
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दूध के धोये नहीं कोई।
चैन से सोये नहीं कोई ।।
जिंदगी जीते यहाँ दुनिया।
हँस के रोये नहीं कोई।।
खेल तो सब खेलते देखो।
जीत के खोये नहीं कोई।।
प्यार से ही महकती बगियां।
ख्वाब संजोये नहीं कोई ।।
फसलें होती जमीं बंजर ।
बीज भी बोये नहीं कोई ।।
देख ले आलम यहाँ खेदू।
हाथ से धोये नहीं कोई ।।
……✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
01-04-2024सोमवार