3207.*पूर्णिका*
3207.*पूर्णिका*
🌷 मन में कुछ तो भेद है🌷
22 22 212
मन में कुछ तो भेद है ।
रुकावट है खेद है ।।
दरिया में सब डूबते ।
नौका में भी छेद है ।।
बेमानी की परत यूं ।
काला रंग सफेद है ।।
वक्त क्या देखो क्रांति बस ।
दुनिया आज निर्वेद है ।।
जीवन खेदू चैन का।
टप टप बहता स्वेद है ।।
……..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
29-03-2024शुक्रवार