3186.*पूर्णिका*
3186.*पूर्णिका*
🌷 कुछ भी कर नहीं सुधरेंगे🌷
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कुछ भी कर नहीं सुधरेंगे।
खुद जा मर नहीं सुधरेंगे।।
फितरत ही यहाँ है ऐसी ।
बात सिफर नहीं सुधरेंगे।।
मतलब साधते ये दुनिया।
राख नजर नहीं सुधरेंगे।।
बनते साव है चोर यहाँ ।
किसका डर नहीं सुधरेंगे।।
रख तू साफ नीयत खेदू।
मन लोफर नहीं सुधरेंगे।।
……..✍ डॉ .खेदूभारती”सत्येश”
26-03-2024मंगलवार