3176.*पूर्णिका*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/85af1e80e82f3ed93ae92c0dda06e4e4_54f19c43ebd6c86c3405f39cc47375a1_600.jpg)
3176.*पूर्णिका*
🌷 आदमी आज चालाक हो गए🌷
212 212 212 12
आदमी आज चालाक हो गए ।
बात ना कर कटी नाक हो गए ।।
हम समझते रहे जिंदगी यहाँ ।
दिल जले आग में खाक हो गए ।।
ख्वाब क्या क्या नहीं देखते सजन।
मतलबी यार के धाक हो गए ।।
नापते जो फिरे जग कहे जहाँ ।
नैन भी ताकते ताक हो गए ।।
हार भी जीत खेदू यहाँ बने।
बस इरादे जरा पाक हो गए ।।
…….✍ डॉ .खेदूभारती”सत्येश”
24-03-2024रविवार