3147.*पूर्णिका*
3147.*पूर्णिका*
🌷 पहले की थी बात अलग🌷
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पहले की थी बात अलग।
आज यहाँ है बात अलग।।
दुनिया है अपनी सुंदर ।
औरों की तो बात अलग।।
ये मंजिल पीछे-पीछे ।
खुशियों की यूं बात अलग।।
आज जमाना क्या बोले।
भाई तेरी बात अलग ।।
बदले सब जीवन खेदू ।
सोच यही है बात अलग ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
19-03-2024मंगलवार