3142.*पूर्णिका*
3142.*पूर्णिका*
🌷 ना देखो तो कांटा मार जाते🌷
22 22 22 2122
ना देखो तो कांटा मार जाते ।
आज जमाना चांटा मार जाते ।।
डाले चूल्हे में ईमानदारी ।
गजब नजारा बांटा मार जाते ।।
बात नहीं है अपनों की यहाँ तो ।
जतन यहाँ क्या छांटा मार जाते।।
दुनिया जिस पर रखते नाज अपनी।
कैसी जीत सन्नाटा मार जाते।।
हाय हलो बस करते देख हरदम।
ये बाय यहाँ टाटा मार जाते।।
तरक्की किसकी हम मजबूर खेदू।
बस दाल यहाँ आटा मार जाते।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
18-03-2024सोमवार