3139.*पूर्णिका*
3139.*पूर्णिका*
🌷 प्रेम का रंग गहरा हो गया🌷
212 2212 212
प्रेम का रंग गहरा हो गया ।
देख कमजोर पहरा हो गया ।।
महकती अपनी यहाँ जिंदगी।
बंधते माथ सहरा हो गया ।।
जान कर सब कुछ जहाँ बस चले।
बोलते आज ठहरा हो गया ।
देख लहर तिरंगा से आसमां ।
काम भी सजन फहरा हो गया ।।
लाख खेदू सच कहे तुम सुनों ।
आदमी आज बहरा हो गया ।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
18-03-2024सोमवार