3133.*पूर्णिका*
3133.*पूर्णिका*
🌷 चाहत मेरी नहीं जानते🌷
22 2212 212
चाहत मेरी नहीं जानते।
राहत मेरी नहीं जानते ।।
दुनिया है मतलबी बस यहाँ ।
हालत मेरी नहीं जानते।।
जीने की राह अपनी कला।
दौलत मेरी नहीं जानते।।
मौके का चल उठा फायदा।
मुहब्बत मेरी नहीं जानते।।
संघर्ष से आज खेदू यहाँ ।
इबादत मेरी नहीं जानते।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
17-03-2024रविवार