3132.*पूर्णिका*
3132.*पूर्णिका*
🌷 खुद से लड़ता रहा🌷
22 2212
खुद से लड़ता रहा ।
मधुर से झड़ता रहा।।
दुनिया अपनी यहीं ।
आहें भरता रहा ।।
जो है दिल में बसे।
यूं प्यार करता रहा।।
तनहा ये जिंदगी।
हरदम मरता रहा।।
समझा खेदू जिसे।
वक्त भी पढ़ता रहा।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
17-03-2024रविवार