3128.*पूर्णिका*
3128.*पूर्णिका*
🌷 जो है नहीं होती चर्चा🌷
2212 2212
जो है नहीं होती चर्चा।
बस बंटती उसकी पर्चा ।।
यूं शान में देखो मस्ती ।
सब खूब ही करते खर्चा।।
ये नाम है बदनाम क्या ।
औकात है लेते कर्जा ।।
बचते कहाँ कब जान भी ।
रहते हिलाते कल पुर्जा ।।
कहते नहीं खेदू यहाँ ।
सुन बांग तू देते मुर्गा।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
16-03-2024शनिवार