3105.*पूर्णिका*
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3105.*पूर्णिका*
🌷 कुछ नादानी कर जाते हैं🌷
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कुछ नादानी कर जाते हैं ।
बेमौत यहाँ मर जाते हैं ।।
काम नहीं करते बुध्दि भी ।
कैसे मति भी हर जाते हैं ।।
ये पावन मन दूषित देखो।
बस दुखों से भर जाते हैं ।।
दामन छोड़े कोई अपना।
जब प्यार जहाँ झर जाते हैं ।।
खुद को बदले हैं खेदू अब ।
जीवन सच में तर जाते हैं ।।
………….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
11-03-2024सोमवार