3065.*पूर्णिका*
3065.*पूर्णिका*
🌷 सोच समझ कर दांव रखते🌷
22 22 2122
सोच समझ कर दांव रखते ।
काँटों के पथ पांव रखते।।
बनती खुद ही राह अपनी।
हम तो रोज लगाव रखते।।
मस्त रहते दुनिया यहाँ सच ।
अब कौन कहाँ खांव रखते ।।
परवाह नहीं बात क्या है ।
बस कौआ सा कांव रखते ।।
अपना कोमल हृदय खेदू।
धूप न शीतल छांव रखते ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
02-03-2024शनिवार