3022.*पूर्णिका*
3022.*पूर्णिका*
🌷 मिल बांट कर खाते हम
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मिल बांट कर खाते हम ।
दुनिया देख गाते हम ।।
करते प्यार इतना तो ।
जान नहीं बताते हम ।।
काँटे फूल बन महके।
शान कहाँ जताते हम ।।
सोच बड़े वहाँ रखते।
ख्वाब जहाँ दिखाते हम ।।
बदले जिंदगी खेदू।
रोज खुशी दिलाते हम ।।
………….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
18-02-2024रविवार