3002.*पूर्णिका*
3002.*पूर्णिका*
🌷 हाल अपना यूं बताने लगे
2122 212 212
हाल अपना यूं बताने लगे।
देख दुनिया डगमगाने लगे।।
पांव अंगद का यहाँ है नहीं ।
लोग कुछ डिंगे जमाने लगे।।
शान की तकदीर अपनी कहाँ ।
रोज फिर भी आजमाने लगे।।
है जमाना सितमगर आज तो ।
चमन में बस गुल खिलाने लगे।।
प्यार पाकर साथ खेदू जहाँ ।
जिंदगी भर फर्ज निभाने लगे।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
12-02-2024सोमवार