2943.*पूर्णिका*
2943.*पूर्णिका*
🌷 खुद की पहचान क्या 🌷
22 2212
खुद की पहचान क्या।
अपनी अरमान क्या।।
प्यारी-सी जिंदगी ।
दुनिया कुरबान क्या।।
मिलती तो मंजिलें।
श्रम है आसान क्या।।
फिसले सबकी जुबां ।
देखो अवदान क्या।
सच सच खेदू कहे।
जाना शमशान क्या।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-01-2024रविवार