2935.*पूर्णिका*
2935.*पूर्णिका*
🌷 ना जाने क्यूं तनहा तनहा लगता है 🌷
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ना जाने क्यूं तनहा तनहा लगता है ।
पास यहाँ सब तनहा तनहा लगता है ।।
खुशियाँ लेकर आये हैं देखो इतनी।
गम से यारी,तनहा तनहा लगता है ।।
मौसम भी तो रहता है रोज सुहाना ।
मालूम नहीं तनहा तनहा लगता है ।।
प्यार किया तो डरना क्या सीखा हमने।
साथी मेरे तनहा तनहा लगता है ।।
साथ निभाते दिलवर भी हरदम खेदू।
बेफ्रिक फिर भी तनहा तनहा लगता है ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
15-01-2024सोमवार