2903.*पूर्णिका*
2903.*पूर्णिका*
🌷 काश दुनिया न होती
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काश दुनिया न होती।
आज जानम न रोती ।।
दर्द यहाँ सहन करते।
प्यार से तू न सोती ।।
जिंदगी की व्यथा क्या।
शान अपनी न खोती ।।
अलग अपनी कहानी ।
चाह हीरा न मोती।।
नेक है राह खेदू।
पाप गंगा न धोती ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
05-01-2024शुक्रवार