2887.*पूर्णिका*
2887.*पूर्णिका*
🌷 लोग तमाशा देखते हैं🌷
22 22 2122
लोग तमाशा देखते हैं ।
कौन निराशा देखते हैं ।।
दुनिया पल पल बदलती है ।
जीवन आशा देखते हैं ।।
तरक्की की नवराह चल तू ।
खील बताशा देखते हैं ।।
खेल नहीं है जानते हम ।
रोज प्रत्याशा देखते हैं ।।
रख ले दिल भी पत्थर खेदू।
नाजुक शीशा देखते हैं ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
03-01-2024बुधवार