2857.*पूर्णिका*
2857.*पूर्णिका*
🌷 अहित किसी का सोचा नहीं🌷
22 22 2212
अहित किसी का सोचा नहीं ।
होना क्या है सोचा नहीं ।।
बगियां महके हरदम यहाँ ।
कांटे बोना सोचा नहीं ।।
रात कटे दिन निकले सही ।
अंधेरा हो सोचा नहीं ।।
मरकर जिंदा दे जिंदगी ।
मरना जीना सोचा नहीं ।।
दुनिया खेदू सुंदर बने।
नाटक करना सोचा नहीं ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
25-12-2023सोमवार