2839.*पूर्णिका*
2839.*पूर्णिका*
🌷 हम अपने में मस्त रहते हैं🌷
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हम अपने में मस्त रहते हैं ।
लोग यहाँ सब व्यस्त रहते हैं ।।
किसने नापा सागर गहरा।
सुधरे बिगड़े पस्त रहते हैं ।।
अरमाँ अपनी करते पूरी ।
दुनिया देखो ध्वस्त रहते हैं ।।
मिट जाती है रंजिश दिल की ।
लोग परेशां त्रस्त रहते हैं ।।
किस्मत बदल दे खेदू हरदम ।
सच संग वरद हस्त रहते हैं ।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-12-2023बुधवार