2817. *पूर्णिका*
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2817. पूर्णिका
लहरें तो आती जाती हैं
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लहरें तो आती जाती हैं ।
जीने की राह दिखाती हैं ।।
रोज इमारत बनती देखो ।
यूं आफत देख ढ़हाती हैं ।।
सोच बड़े रख कर चलते हम ।
सच हालात बदल जाती हैं ।।
चाहत है हरदम प्यार मिले।
दुनिया सुंदर बन जाती हैं ।।
वक्त के साथ चलें बस खेदू।
खुशियाँ भी चल कर आती हैं ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-12-2023बुधवार