2814. *पूर्णिका*
2814. पूर्णिका
मेहनत से तकदीर बदलती
212 22 22 22
मेहनत से तकदीर बदलती ।
जिंदगी की तहरीर बदलती ।।
घाव भरते मरहम रखते हम ।
रौशनी आज शरीर बदलती ।।
देख सुन कर चलते रहते हैं ।
राह अपनी तदबीर बदलती ।।
हसरतें पूरी होती सच में ।
फितरतें रोज तस्वीर बदलती ।।
ठोकरों से प्यार हमें खेदू।
मंजिलें भी शमशीर बदलती ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
12-12-2023मंगलवार