2799. *पूर्णिका*
2799. पूर्णिका
सच में नादान है
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सच में नादान है ।
रोज परेशान है ।।
फितरत भी बदलते।
कैसा इंसान है ।।
रंगो में रंगते।
दुनिया बलिदान है ।।
जिंदा है आज भी ।
रखते ईमान है ।।
अपना खेदू यहाँ ।
कुछ तो पहचान है ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
06-12-2023बुधवार