2769. *पूर्णिका*
2769. पूर्णिका
ये दोस्ती का हाथ बढ़ाया
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ये दोस्ती का हाथ बढ़ाया।
हमने हरदम साथ निभाया।।
परवाह नहीं की क्या होगा ।
तेरे खातिर माथ नवाया।।
महके सुंदर बगियां अपनी ।
भौरें को भी नाथ बनाया ।।
खून पसीना से प्यार यहाँ ।
गाए दुनिया गाथ रचाया।।
जीने का मकसद भी खेदू ।
खुशियाँ दे जगन्नाथ कहाया।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
26-11-2023रविवार