2757. *पूर्णिका*
2757. पूर्णिका
रातदिन तनाव है साहब
212 1212 22
रातदिन तनाव है साहब ।
बस यहाँ अभाव है साहब ।।
देखते नहीं जरा सा अब ।
क्या नहीं लगाव है साहब ।।
चांद में कहाँ चमक होती ।
सूरज का प्रभाव है साहब।।
एकता रखें जहाँ कैसें ।
आज मनमुटाव है साहब ।।
समझते नहीं हमें खेदू ।
जिंदगी चुनाव है साहब।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
23-11-2023गुरूवार