2755. *पूर्णिका*
2755. पूर्णिका
फूल खिले बगियां महके
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फूल खिले बगियां महके।
रोज मिले दुनिया चहके।।
काम यहाँ करते रहते।
मंजिल भी लहके लहके।।
साथ निभाते बढ़े सनम।
ध्यान रहे कदम न बहके।।
सोच हमारी है सुंदर ।
तुम देखो अपना रहके।।
गाते खेदू गीत यहाँ ।
तन प्यारा सा मन दहके ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
23-11-2023गुरूवार