2750. *पूर्णिका*
2750. पूर्णिका
मेरी दुनिया तेरी दुनिया
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मेरी दुनिया तेरी दुनिया ।
लगती कितनी प्यारी दुनिया ।।
खुशियों की बस बरसात यहाँ ।
देखो सुंदर अपनी दुनिया।।
कोशिश नाकाम नहीं कोई ।
कहती रहती सारी दुनिया।।
साथ चले मिलके राहों पर ।
मंजिल मंजिल न्यारी दुनिया ।।
जीवन जीवन महके खेदू ।
धरती अंबर यारी दुनिया।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-11-2023मंगलवार