2749. *पूर्णिका*
2749. पूर्णिका
जिसकी तलाश थी वो तुम हो
2212 122 22
जिसकी तलाश थी वो तुम हो ।
मंजिल मिली यहाँ वो तुम हो ।।
देखो बदल गई अब दुनिया ।
झूमे जहाँ खुशी वो तुम हो ।।
कोई नहीं करें जो कुछ हल।
दे ताज सब भला वो तुम हो ।।
जीवन खिले खिले से हरदम ।
प्रेम सुमन सजना वो तुम हो ।।
खुशियाँ यहीं बिखेरे खेदू।
यूं चांद सी चमक वो तुम हो ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-11-2023मंगलवार