एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
बिना वजह जब हो ख़ुशी, दुवा करे प्रिय नेक।
पल पल रंग बदलती है दुनिया
শিবকে ভালোবাসি (শিবের গান)
निगाहें प्यार की ऊंची हैं सब दुवाओं से,
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
गर्व हो रहा होगा उसे पर्वत को
कश्ती तो वही है तो क्या दरिया बदल गया
जिम्मेदारी बड़ी या सपने बड़े,
माँ
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
मैंने उस नद्दी की किस्मत में समंदर लिख दिया
ये दुनियाँ है बाबुल का घर
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*