कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है
जिस दिन आप दिवाली के जगह धनतेरस को मनाने लगे उस दिन आप समझ ल
गीत- सभी हालात में हँसके...
बेटियाँ जब भी अपने मायका आती है
रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।
दिल में जिसकी तस्वीर लगी है वो हो तुम -
जानती हो दोस्त ! तुम्हारी याद इक नाव लेकर आती है। एक ऐसी नाव
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
हिन्दी दोहा बिषय-जगत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
मेरी बिटिया बड़ी हो गई: मां का निश्चल प्रेम
तप्त हृदय को , सरस स्नेह से ,
थोड़ी देर पहले घुसे कीड़े का,
*हुआ गणेश चतुर्थी के दिन, संसद का श्री गणेश (गीत)*
यूं कठिन राह कोई ना चुनता मगर– राम गीत।
23/112.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
पितृ पक्ष में कौवों की सभा
मुस्कुराहट खुशी की आहट होती है ,
नित्य अमियरस पान करता हूँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)